सत्य परेशान हो सकता है किंतु पराजित नही हो सकता

रामायण भारत की सबसे प्रचलित पुस्तको में से एक है. भारत के हर घर में रामचरितमानास का पाठ प्रतिदिन पूरी आस्था के साथ होता है! महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में भगवान राम की पूरी गाथा लिखी है जो अचंभित कर देने वाली है!

 

1) में हनुमान गढ़ी के बारे में लिखा है क़ि इसी जगह पर हनुमान जी ने भगवान राम की प्रतीक्षा की थी ! भारत में अयोध्या के पास यहाँ भगवन हनुमान का एक मंदिर भी है !                        


2. द्रोणागिरी पर्वत


 

युद्ध में जब लक्ष्मण मूर्क्षित हुए थे तब हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणागिरी पर्वत गए थे , जहाँ उन्हें कुछ न समझ आने पर पूरा द्रोणागिरि  पर्वत ही उठा लाये थे और बाद में उसे वापस उस स्थान पर रख आये. रामायण में इस घटना का वर्णन है और वर्तमान में हम आज भी द्रोणागिरी पर्वत के दर्शन कर सकते हैं क्यूंकि ये आज भी अपनी जगह पर अटल है ! आज भी उस पर्वत पर वो निशान मौजूद हैं जहाँ से हनुमान जी ने उसे तोड़ा था! देखें तस्वीर !

 

 

3. राम सेतु


रामायण में राम सेतु का वर्णन साफ तौर पर किया गया है जिसका निर्माण वानर सेना ने श्री राम के श्रीलंका भ्रमण के समय किया था! वैज्ञानिक तथ्यो के आधार पर ये बात सत्यापित हो चुकी है कि रामसेतु का निर्माण आज से १७ लाख साल पहले किया गया था और ये मानव निर्मित सेतु है! आप आज भी इस सेतु को देख सकते हैं जिसके निर्माण में ना डूबने वाले पत्थरो का प्रयोग किया गया था ये पत्थर आज भी पानी में डूबने के बजाए तैरते हैं!

4. अशोक वाटिका


सीता हरण के पश्चात रावण ने उन्हें अशोक वाटिका में रखा था क्यूंकि सीता माता ने रावण के महल में रहने से मना कर दिया था ये अशोक वाटिका आज भी मौजूद है जिसे कहते हैं!

5. जानकी मंदिर

नेपाल के जनकपुर शहर में जानकी मंदिर है! शायद आपको पता हो कि  सीता माता के पिता का नाम जनक था जिनके नाम पर शहर का नाम जनकपुर पड़ा और सीता माता की माँ का नाम जानकी था जिनके नाम पर जानकी मंदिर का निर्माण किया गया जहाँ आज भी लाखों की संख्या में लोग आते हैं. सचमुच एक जीता जागता सबूत!

6. हनुमान जी के पद चिन्ह


हनुमान जी ने जब विशालकाय रूप धारण किया था तब उनके विशालकाए पैरों के पद चिन्ह कई जगहों पर बने, जिनमे से कई आज भी मौजूद हैं!

7. सीता कोतुवा

 

सीता हरण के बाद रावण उन्हें सर्वप्रथम कोतुवा ले गया था, उस स्थल को आज भी श्रीलंका में पर्यटन स्थल के रूप में सीता कोतुवा के नाम से जाता है! चित्र संलग्न

8. पानी में तैरते पत्थर

 

विश्व में रामसेतु ही एक ऐसा पुल था जिसके पत्थर पानी में तैरते थे, सूनामी के बाद रमेश्वरम में जब इन पत्थरों के बारे में पता चला तब इन्हें दूसरे पत्थरो के साथ पानी में फेकने पर ये पत्थर पानी में डूबने की बजाए तैरने लगे! वैज्ञानिक शोधों के पश्चात इन पत्थरों की संरचना ही अनोखी पाई गयी है!

9. रावण का महल

 

श्रीलंका के पुरातत्व विभाग को खुदाई के दौरान एक महल मिला जिसमे कई गुप्त रास्ते हैं जो शहर के मुख्य केंद्रों तक जाते हैं! ये प्रमाणित हुआ है कि ये रास्ते मानव निर्मित थे और ये अनुमान लगाया जा रहा है कि ये महल रावण का वो महल है जिसकी चर्चा रामायण में की गयी है!

10. श्रीलंका में हिमालय की जड़ी बूटियों का मिलना

 

श्रीलंका में हिमालय की जड़ी बूटियो का मिलना इस बात का पर्याप्त सबूत है कि लक्षमण को संजीवनी देने की घटना पूर्ण रूप से सत्य है! क्यूंकि ये जड़ी बूटियो के पौधो उसी स्थान पर मिले हैं जहाँ पर लक्षमण को संजीवनी दी गयी थी!

11. लंका दहन

 

लंका दहन की घटना सर्वविदित है! रामायण के अनुसार हनुमान जी ने पूरी लंका में आग लगा दी थी जिसके प्रमाण आज भी मिलते हैं. जलने के बाद आज भी लंका की धरती काली हो गयी है. हालाँकि श्रीलंका की धरती का रंग भूरा है पर जिस जगह पर लंका दहन की घटना घटित होने का वर्णन है वहाँ की ज़मीन आश्चर्यजनक रूप से आज भी काली है!

12. ट्स्क हाथी

 

रामायण के एक अध्याय में विशालकाय ट्स्क हाथी का वर्णन है जिसे हनुमान जी ने मूर्छित किया था. हाल ही में श्रीलंका के पुरातत्व विभाग को ऐसे हाथियों के अवशेष मिले हैं जिनका आकर सामान्य हाथियों से कई गुना ज़्यादा है!

13. रामलिंगम

रावण को मारने के पश्चात भगवान राम को पश्चाताप करना था क्योंकि उनके हाथ से एक ब्राहमण का वध हुआ था. इसके लिए उन्होंने शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उन्हें चार शिवलिंग बनाने के लिए कहा. एक शिवलिंग सीता जी ने बनाया जो रेत का था. दो शिवलिंग हनुमान जी कैलाश से लेकर आए थे और एक शिवलिंग भगवान राम ने अपने हाथ से बनाया था, जो आज भी उस मंदिर में हैं और इसलिए ही इस जगह को रामलिंगम कहते हैं. इस पूरे घटनाक्रम का वर्णन आपको रामायण में मिल जाएगा!

14. गर्म पानी के कुएँ

 

रामायण के अनुसार रावण ने कोणेश्वरम मंदिर के पास गर्म पानी के कुएं बनवाए थे, जो आज भी वहां मौजूद हैं.

15. कोणेश्वरम मंदिर

 

रावण भगवान शिव की अराधना करता था और उसने भगवान शिव के लिए इस मंदिर की भी स्थापना करवाई. यह दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां भगवान से ज़्यादा उनके भक्त रावण की आकृति बनी हुई है. इस मंदिर में बनी एक आकृति में रावण के दस सिरों को दिखाया गया है. कहा जाता है कि रावण के दस सिर थे और उसके दस सिर पर रखे दस मुकुट उसके दस जगहों के अधिपत्य को दर्शाता है.

हम आशा करते हैं कि आपके सारे संशयों का हमने पर्याप्त उत्तर दिया है! साथ ही ये तथ्य इस बात को मानने के लिए पर्याप्त हैं कि रामायण में वर्णित प्रत्येक शब्द सत्य है!